तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले के एलीमिनेडु गांव की निवासी बट्टी कीर्ति का जीवन का सबसे बड़ा सपना चूर-चूर हो गया। IVF के माध्यम से गर्भवती होने के बाद, वह जुड़वां बच्चों की उम्मीद कर रही थी, लेकिन एक गलत प्रक्रिया ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
कीर्ति की देखभाल डॉक्टर अनुशा रेड्डी कर रही थीं, जिन्होंने हाल ही में उसके गर्भाशय ग्रीवा में ढीलापन देखकर टांके लगाए थे। डॉक्टर ने उसे आराम करने की सलाह दी और घर भेज दिया। लेकिन एक महीने बाद, अचानक प्रसव पीड़ा के चलते जब कीर्ति अस्पताल पहुंची, तो उसकी दुनिया बिखर गई।
रविवार की सुबह 4 बजे कीर्ति को तेज प्रसव पीड़ा हुई। उसे तुरंत विजया लक्ष्मी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उस समय डॉक्टर अनुशा रेड्डी वहां मौजूद नहीं थीं। रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने वीडियो और ऑडियो कॉल के माध्यम से नर्सों को निर्देश दिए कि उन्हें कौन-सी दवाएं देनी हैं।
कीर्ति ने बताया कि उसे पेट में तेज दर्द हो रहा था और फोन पर उसे इंजेक्शन लेने के लिए कहा गया। घबराकर वह तुरंत अस्पताल पहुंची। नर्स ने उसे दो बार चेक किया, लेकिन अचानक वह ब्लीड करने लगी। जब उसके बच्चे बाहर आए, तब डॉक्टर आईं और कहा कि बच्चे मर चुके हैं। डॉक्टर ने उसे देखा तक नहीं।
रंगा रेड्डी जिले के जिला मेडिकल और स्वास्थ्य अधिकारी बी वेंकटेश्वर राव ने इस मामले को बेहद गैर-पेशेवर बताया। उन्होंने कहा कि इतनी जटिल स्थिति में डॉक्टर का नर्सों को प्रक्रिया करने देना लापरवाही है। हम इस मामले की जांच करेंगे और रिपोर्ट पुलिस व उच्च अधिकारियों को सौंपेंगे।
कीर्ति के परिवार ने डॉक्टर की लापरवाही के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले में मेडिकल नेग्लिजेंस की धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई है। पुलिस का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।