उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के लिए नई दरों की घोषणा


उत्तर प्रदेश समाचार: उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक समाचार सामने आया है। सितंबर से पहले राज्य में नई बिजली दरों की घोषणा की जाएगी। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2025-26 के लिए बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तुत वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उपभोक्ताओं को अपनी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 21 दिन का समय दिया गया है। जून से जनता के बीच बिजली दरों पर सुनवाई शुरू होगी। प्रस्ताव के स्वीकृत होने के 120 दिनों के भीतर नई दरें निर्धारित की जाएंगी।


बिजली कंपनियों का प्रस्ताव और आयोग की मंजूरी

बिजली कंपनियों ने पिछले वर्ष नवंबर में ARR दाखिल किया था, लेकिन आयोग ने इसे पहले अनुमोदित नहीं किया था। अप्रैल में आयोग ने नए प्रोफॉर्मा के बारे में अधिक जानकारी मांगी थी, और अब ARR को मंजूरी मिल गई है। 2023-24 और 2024-25 के वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए AR और ट्रू-अप भी स्वीकृत किए गए हैं। आयोग ने कहा कि बहुवर्षीय वितरण टैरिफ नियमन-2025 के तहत बिजली कंपनियों ने दरों का प्रस्ताव नहीं दिया है। कंपनियों को तीन दिन के भीतर सभी डेटा को समाचार पत्रों में प्रकाशित करना होगा, और उपभोक्ता इस डेटा पर 21 दिनों में अपनी आपत्ति और सुझाव देंगे। जून से आयोग आम जनता के बीच सुनवाई करेगा।


बिजली कंपनियों के बीच 9 से 10 हजार करोड़ रुपये का अंतर

9 से 10 हजार करोड़ रुपये का अंतर है

ऊर्जा कंपनियों ने बिजली दरों पर कोई प्रस्ताव नहीं दिया है, लेकिन ARR में आपूर्ति और राजस्व के बीच 9 से 10 हजार करोड़ रुपये का अंतर है। कंपनियां चाहती हैं कि आयोग उनके पक्ष में निर्णय ले और इस अंतर का भुगतान करें। बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग पर भरोसा करते हुए अपनी तरफ से दरों का प्रस्ताव नहीं दिया है। जनता के बीच सुनवाई में बिजली कंपनियों द्वारा खर्च की गई रकम के बारे में सवाल उठने के लिए कोई कारण नहीं है।
बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल आरआर

1 लाख 13 हजार 923 करोड़ रुपये का आरआर दाखिल

बिजली कंपनियों ने लगभग 1 लाख 13 हजार 923 करोड़ रुपये का ARR दाखिल किया है। सभी विद्युत कंपनियों ने लगभग 1,33,779 मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता बताई है। ARR में बहुवर्षीय वितरण टैरिफ नियमन के तहत, कंपनियों ने लाइन हानियों और सकल तकनीकी व व्यावसायिक (AT&C) हानियों के बारे में कुछ नहीं कहा है। बिजली कंपनियों का अनुमान है कि पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (PGCIL) को इतनी मात्रा में बिजली खरीदने के लिए लगभग 88,755 करोड़ रुपये की ट्रांसमिशन चार्ज देनी होगी।
बिजली दरों में वृद्धि की मांग

बिजली दरों में औसतन 12% इजाफा चाहते हैं कंपनियां

सूत्रों के अनुसार, विद्युत कंपनियां वर्तमान बिजली दरों में लगभग 12% का इजाफा चाहती हैं। यही कारण है कि, हालांकि उन्होंने बिजली आपूर्ति के खर्च और इसके एवज में आने वाले राजस्व के बीच अंतर बताया है, लेकिन आयोग ने बिजली दरें बढ़ाने का निर्णय लिया है। जनता के बीच सुनवाई में कंपनियों के दावों को चुनौती दी जाएगी, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा। विद्युत उपभोक्ताओं का लगभग 33,122 करोड़ रुपये बिजली कंपनियों पर बकाया है। यही कारण है कि बिजली कंपनियों ने स्पष्ट रूप से नई दरों का प्रस्ताव नहीं किया है। उन्हें कानून के अनुसार बिजली दरों में कमी का प्रस्ताव देना चाहिए था। उपभोक्ता परिषद बिजली दरों में किसी भी तरह का इज़ाफा नहीं करेगा।
निजीकरण की स्थिति

निजीकरण की समस्या

उपभोक्ता परिषद ने कहा कि आयोग द्वारा ARR स्वीकार करने के बाद, विद्युत कंपनियों के निजीकरण का प्रस्ताव 31 मार्च 2026 तक स्थगित हो गया है। अब नई बिजली दरों पर चर्चा होगी। इनमें पावर कॉरपोरेशन पाले का लक्ष्य पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजीकरण करना है। आयोग को निजीकरण के बारे में अब तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। नई दरें दक्षिण और पूर्व में भी लागू होंगी। यही कारण है कि वे न तो निजीकृत हो सकेंगे और न ही उनकी जगह कोई और कंपनी बनाई जा सकेगी।
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