बिहार सरकार ने राज्य के 81,223 सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से शैक्षिक निगरानी योजना शुरू की है। यह निगरानी कार्य राज्य के विभिन्न शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों एवं संस्थानों के संकाय सदस्यों द्वारा किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य न केवल शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण की प्रभावशीलता का आकलन करना है, बल्कि शिक्षण प्रक्रिया में गुणात्मक सुधार सुनिश्चित करना भी है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक विनायक मिश्रा के निर्देश पर मंगलवार को सभी संबंधित संस्थानों को कार्ययोजना जारी कर दी गई।
योजना में शामिल इतने विद्यालय
इस निगरानी योजना में राज्य के 40,556 प्राथमिक, 31,297 मध्य तथा 9,360 माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों को शामिल किया गया है। इसके लिए राज्य भर के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट), प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय, प्रखंड शिक्षक शिक्षा संस्थान एवं शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय के प्राचार्यों को अपने संस्थान के संकाय सदस्यों को टैग किए गए विद्यालयों की जिम्मेदारी सौंपने का निर्देश दिया गया है। प्रत्येक संकाय सदस्य को न केवल इन विद्यालयों की अकादमिक समीक्षा करनी होगी, बल्कि शिक्षण में आवश्यक सहायता और मार्गदर्शन भी प्रदान करना होगा। शिक्षकों की शिक्षण शैली की भी निगरानी की जाएगी इस योजना के तहत विद्यालयों की नियमित निगरानी की जाएगी तथा शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति, बुनियादी सुविधाओं, सह-पाठयक्रम गतिविधियों और कक्षा प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा। सेवाकालीन आवासीय प्रशिक्षण में भाग लेने वाले शिक्षकों की शिक्षण शैली और छात्रों के अधिगम स्तर पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह निगरानी प्रणाली शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और निरंतर सुधार सुनिश्चित करने का एक प्रयास है। प्रत्येक संकाय सदस्य को निर्धारित प्रारूप में एक निगरानी रिपोर्ट राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद को प्रस्तुत करनी होगी, ताकि पूरे राज्य में एक समान गुणवत्ता मानक स्थापित किए जा सकें।