हिंदी सिनेमा के लेजेंड गुरुदत्त की आज 100वीं जयंती है. गुरु दत्त का नाम बॉलीवुड के सबसे बड़े और शानदार फिल्ममेकर्स और एक्टर्स में लिया जाता है. उनकी बनाई फिल्में तो आज पर्दे से उतरकर सिनेमा की किताबों में अपनी जगह बना चुकी हैं. 9 जुलाई को बेंगलुरु के शिवशंकर राव पादुकोण और वसंती पादुकोण के घर में उनका जन्म हुआ था. गुरुदत्त के बचपन का नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण था, लेकिन बंगाली संस्कृति के प्रति उनका लगाव इतना बढ़ा कि उन्होंने अपना नाम बदलकर गुरुदत्त रख लिया था.
गुरु दत्त का वैसे तो कई निर्माता-निर्देशकों संग गहरा नाता था, लेकिन एक ऐसे भी निर्माता थे, जिनसे उनके खास संबंध थे. वो नाम था श्याम बेनेगल. गुरु दत्त की नानी और श्याम बेनेगल की दादी सगी बहनें थीं. ऐसे में दोनों कजन थे. गुरु दत्त और श्याम का एक दूसरे से खास रिश्ता था.
श्याम बेनेगल और गुरु दत्त में क्या था रिश्ता?श्याम बेनेगल गुरु दत्त की फिल्मों के कायल रहे हैं. एक बार उन्होंने कहा था कि गुरु दत्त की कला और फिल्मों से उन्हें ईर्ष्या होती है. हालांकि, वो खुद भी कमाल के निर्माता-निर्देशक थे. गुरु दत्त की जिंदगी में एक और शख्स की काफी अहमियत थी और वो थे उनके बकुट मामा. बकुट मामा उनकी मम्मी के कजन थे, जिनके साथ गुरु दत्त ने बचपन में बहुत समय बिताया था. वो प्यार से उन्हें बकुट मामा कहते थे, जबकि, उनका असली नाम बालाकृष्ण बी बेनेगल था. श्याम बेनेगल भी बकुट मामा के भतीजे थे.
गुरुदत्त ने अपने करियर में तो खूब नाम कमाया, लेकिन उनकी जिंदगी में भी काफी उठा-पटक रही. उन्हें प्यार में धोखा मिला, फिर उन्होंने शराब, सिगरेट और नींद की गोलियों को अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बना लिया. सिर्फ 39 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने खुदकुशी कर इस दुनिया को अलविदा कह दिया. गुरु ने जो सिनेमा हमें दिया, वो आज भी उनकी जिंदगी के खालीपन की झलक हमें दिखाता है.